Study Material

Best Social Learning Process सामाजिक शोध

जब सामाजिक क्षेत्र के प्रश्नों के उत्तर खोजने का क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित प्रयास किया जाता है उसे ही सामाजिक शोध का नाम दिया जाता है।

प्रस्तुत लेख सामाजिक शोध से संबंधित है।

इस लेख में यह समझाने का प्रयास किया गया है कि सामाजिक शोध क्या है?

इसका अर्थ क्या है? एवं सामाजिक शोध (अनुसन्धान) की प्रकृति को भी उजागर किया गया है।

लेख को लिखने के लिए पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं का सहारा लिया गया है।

लेख में प्रयुक्त विचार शोध से संबंधित हैं लेनिक कहीं-कहीं पर उनका सरलीकरण प्रस्तुत किया गया है। मेरा मानना है कि यह लेख आपका ज्ञान बढ़ाने में कारगर साबित होगा।

सामाजिक शोध

मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है, वह अज्ञात तथ्यों का पता लगाने की दिशा में निरन्तर आगे बढ़ता रहता है।

पहले मनुष्य ने प्राकृतिक घटनाओं को समझने का प्रयास किया और बाद में उसने प्राकृतिक घटनाओं के आधार पर अपनी समझ को विकसित किया।

सामाजिक घटनाएं भी अपने आप में काफी जटिल होती हैं।

एक ही घटना के पीछे अनेक कारण हो सकते हैं।

उन सभी कारणों को खोज निकालना कोई सरल कार्य नहीं है लेकिन सामाजिक शोध इसमें अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

शोध का तात्पर्य बार-बार खोजने से है। इसमें दो भौतिक तत्वों की प्रधानता पायी जाती है।

प्रथम,

अवलोकन द्वारा घटना को उद्देश्यपूर्ण ढंग से देखना अथवा उपलब्ध तथ्यों के आधार पर घटना को समझना,

द्वितीय,

उन तथ्यों के अर्थ को जानकर घटना के पीछे छिपे कारणों को समझना।

इन दोनों तत्वों को ध्यान में रखकर जो ज्ञान संचित किया जाता है, उसे विश्वसनीय एवं प्रामाणिक माना जाता है।

इस प्रकार के ज्ञान को संचित करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को ही शोध के नाम से पुकारते हैं (गुप्ता एवं शर्मा, 2010: 142)।

शोध क्या है?

विभिन्न क्षेत्रों में ’शोध’ (Research) शब्द का प्रयोग अलग-अलग पारिभाषिक अर्थों में किया गया है।

व्युत्पत्तीय अर्थ में, अनुसंधान में तीन प्रक्रियाएँ सम्मिलित होती हैं: खोजना (search), परिष्करण करना (to finish), और प्रमाणीकरण (authentication) करना।

वैज्ञानिक जगत में इस शब्द का प्रयोग इसी अर्थ में होता है।

संस्कृत साहित्य में अन्वेषण, गवेषणा और खोज को शोध या अनुसंधान शब्दों का वंशज शब्द माना गया है।

वेबस्टर शब्दकोश के अनुसार-

“तथ्यों एवं सिद्धांतों अथवा किसी घटना के बारे में जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से सतर्कतापूर्वक एवं निष्ठापूर्वक की गई विवेचनात्मक खोज को अनुसंधान कहते हैं।”

एच०एल० मानहीम के अनुसार-

“किसी भी विशिष्ट विषय-वस्तु की सतर्कता और परिश्रमपूर्वक की गई ऐसी गहन गवेषणा को अनुसंधान के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसका उद्देश्य मानव प्राणी के ज्ञान में वृद्धि करना हो।”

ये दोनों परिभाषाएँ इस बात पर जोर देती हैं कि किसी भी विषय के बारे में चलते-फिरते अनायास एकत्रित की गई जानकारी को अनुसंधान नहीं कहा जा सकता। अनुसंधान के लिए सतर्कता, गहनता, परिश्रम और निष्ठा आवश्यक तत्व है।

अंग्रेजी का शब्द “रिसर्च” दो शब्दों के मेल ‘रि+सर्च’ (Re+Search) के मेल से बना है।

‘रि’ का अर्थ ‘पुनः’ या ‘पुनर्’ और ‘सर्च’ का अर्थ खोज करने से है, अर्थात् जो घटना, क्रियाकलाप या वस्तु पहले से विद्यमान है, उसके बारे में नए सिरे से छानबीन, जाँच-पड़ताल करना ही ‘रिसर्च’ है।

इसी व्याख्या के आधार पर अनुसंधान से तात्पर्य, “ऐसी गहन एवं विवेचनात्मक गवेष्णा या प्रायोगिक कार्य से है, जिसका उद्देश्य नवीन खोजे गए तथ्यों के संदर्भ में पूर्व स्वीकृत निष्कर्षों में संशोधन करना है।”

Sociology and the Scientific Method

थियोडोर्सन एवं थियोडोर्सन के अनुसार-

“सामान्य सिद्धान्तों की रचना के उद्देश्य से किसी समस्या के व्यवस्थित एवं वस्तुपरक प्रयास को शोध कहते हैं।”

किसी भी शोध का मूल उद्देश्य किसी घटना (प्राकृतिक या सामाजिक) के बारे में ज्ञान प्राप्ति के उद्देश्य से सतर्कतापूर्वक गहन अन्वेषण करना होता है।

इस प्रकार की शोध आनुभविक, ऐतिहासिक या पुस्तकालयी प्रकृति की हो सकती है।

आनुभविक शोध (Empirical Research) जिसे वैज्ञानिक शोध भी कहा जाता है, वह इन्द्रियों के माध्यम से संकलित ऐसे तथ्यों पर आधारित होती है जिनकी प्रामाणिकता का परीक्षण किया जा सकता है।

ये ऐसे सत्यापनीय (Verifiable) तथ्य होते हैं, जिनकी जांच दूसरे शोधकर्ता द्वारा की जा सकती है।

सामाजिक शोध का अर्थ एवं परिभाषाएँ-

पी०वी० यंग के अनुसार-

Pauline V. Young

सामाजिक शोध एक वैज्ञानिक प्रयास है जिसका उद्देश्य तार्किक एवं व्यवस्थित विधियों की सहायता से नए तथ्यों की खोज या पुराने तथ्यों का परीक्षण अथवा उनकी सत्यता की परख हो सकता है;

या तथ्यों के अनुक्रमों, अन्तर्सम्बन्धों तथा कारणात्मक व्याख्याओं का विश्लेषण करना हो सकता है;

या नवीन वैज्ञानिक तकनीकों, उपकरणों, अवधारणाओं तथा सिद्धान्तों को विकसित करना हो सकता है,

जो मानवीय व्यवहार का विश्वसनीय तथा प्रामाणिक अध्ययन करने में सहायक सिद्ध हो सके।

स्लेसिंगर एवं स्टीवेंशन के अनुसार-

“सामाजिक शोध सामाजिक जीवन के अन्वेषण, विश्लेषण तथा अमूर्तीकरण की एक वैज्ञानिक विधि है, जिसका उद्देश्य ज्ञान को आगे बढ़ाना, संशोधन करना और सत्यापित करना होता है।”

लुण्डबर्ग के अनुसार-

“सामाजिक शोध सामाजिक जीवन के अन्वेषण, विश्लेषण तथा अमूर्तीकरण की एक वैज्ञानिक विधि है, जिसका उद्देश्य ज्ञान को आगे बढ़ाना, संशोधन करना और सत्यापित करना होता है।”

मोजर के अनुसार-

“सामाजिक घटनाओं तथा समस्याओं के बारे में नवीन ज्ञान प्राप्त करने हेतु की गई व्यवस्थित गवेष्णा को सामाजिक शोध कहते हैं।”

फिशर के अनुसार-

“सामाजिक शोध किसी सामाजिक घटना पर प्रयोग की जाने वाली एक ऐसी व्यावहारिक कार्य-प्रणाली है, जिसका उद्देश्य किसी समस्या का समाधान अथवा किसी प्राक्कल्पना का परीक्षण या नवीन तथ्यों की खोज या विभिन्न तथ्यों के बीच नवीन संबंधों की खोज करना है।”

अतः हम कह सकते हैं कि सामाजिक अनुसंधान एक ऐसी गवेषणा है जो सामाजिक अन्तक्रिया की प्रक्रियाओं और सामाजिक समूहों के अध्ययन पर केन्द्रित होती है।

इसकी प्रकृति अनुभवपरक होती है जिसके द्वारा व्यक्तियों की अन्तर्क्रियाओं और सामाजिक प्रघटनाओं का प्रेक्षण-परीक्षण कर सिद्धांत की रचना करने का प्रयास किया जाता है।

May You Like: समाज

The Nature of Social Research
Albert Einstein

सन्दर्भ-

1-गुप्ता, एम०एल० एवं डी०डी० शर्मा (2010), ’समाजशास्त्र’, प्रतियोगिता साहित्य सीरीज (कोडः 963), आगरा।

2-रावत, हरिकृष्ण (2013), ’सामाजिक शोध की विधियाँ’, रावत पब्लिकेशन्स, जयपुर।

3-Young, P.V. (1998). ‘Scientific Social Surveys and Research‘, (Fourth Edition), Prentice-Hall of India Private Limited, New Delhi.

4-Ahuja, Ram (2007). ‘Research Methods, Rawat Publication, Jaipur.

Dr. Dinesh Chaudhary

View Comments

Recent Posts

इन्सानी दिमाग और माइक्रोप्लास्टिक के कण

यह लेख दैनिक अमर उजाला में छपा था। इन्सानी दिमाग और माइक्रोप्लास्टिक के कण लेख…

1 month ago

मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई

उक्त लेख (चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई करने वालों में बढ़ रही हैं मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ)…

2 months ago

The Best way of वर्ण एवं जाति

वर्ण व्यवस्था का उद्भव भारतीय समाज एवं संस्कृति के विकास के आरम्भिक दौर में हुआ।…

1 year ago

The Best Way of Objectivity वस्तुपरकता

वस्तुपरकता (Objectivity) परिघटनाओं के अध्ययन का एक मानसिक दृष्टिकोण है। वस्तुपरकता यह लेख वस्तुपरकता से…

1 year ago

समाजशास्त्रीय शोध

समाजशास्त्रीय शोध एक अत्यंत व्यापक अवधारणा है। समाजशास्त्रीय शोध सामाजिक शोध का प्रयोग समाजशास्त्र की…

1 year ago

Best new way of Social Stratification स्तरीकरण के आधुनिक सिद्धांत एवं नए स्वरूप

स्तरीकरण के आधुनिक सिद्धांत एवं नए स्वरूप समाजशास्त्र को समझने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण…

2 years ago