प्रेम की आड़ में अपराध, यह एक ऐसी घटना है जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सोचने के लिए मजबूर करती है कि क्या व्यक्ति में इंसानियत बची ही नहीं है?
कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है कि अपने चाहने वाले के शरीर के टूकड़े ही कर दे।
ऐसे व्यक्ति को तो मानसिक बीमारी का शिकार ही कहा जा सकता है।
यह वास्तव में स्तब्ध कर देने वाली घटना है। जो एक समाज के तौर पर हमारी नाकामी को दिखाती है।
हम कितने लापरवाह हो जाते हैं कि हमारे आस-पास होने वाली छोटी-छोटी घटनाएं हमें जागरूक करने की कोशिश करती हैं लेकिन हम उनको देखकर अनदेखा कर देते हैं।
सवाल यह है कि क्या समाज में इस तरह की घटनाओं को रोकने का कोई उपाय नहीं है?
यदि नहीं है तो हमें समय रहते उसकी तलाश करनी होगी और ऐसा ना हो के देर ही हो जाए।
सुप्रीम कोर्ट के फैंसले के बावजूद महिलाएं किस तरह से ऐसे रिश्ते में असुरक्षित हैं।
यह अब चिंता का कारण बनाता जा रहा है।
और लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे यूवाओं को अगाह करता है कि उनका जीवन और अपनी बुनियादी जरूरतें पूरा करते-करते वह एक दूसरे के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को ही न भूला दें।
क्योंकि व्यक्ति ही सबसे बड़ी पूंजी है उसे बोझ समझने की गलती ना करें।
लिव-इन-रिलेशनशिप क्या है?
ऐसे दो व्यक्ति (महिला एवं पुरुष) जो शादी किये बिना बहुत समय तक एक ही घर में
साथ-साथ रहते हैं। साथ रहने का कोई निश्चित कारण नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार शादी करने की उम्र वाले व्यक्तियों के बीच लिव-इन-रिलेशनशिप किसी भारतीय कानून का उल्लंघन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई कपल लंबे समय से साथ रह रहा है, तो उस रिश्ते को शादी ही माना जाएगा। इस तरह कोर्ट ने पचास साल के लिव-इन-रिलेशनशिप को वैध ठहराया था।
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Reference:
1-https://www.jansatta.com
2-https://www.aajtak.in