उक्त लेख (चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई करने वालों में बढ़ रही हैं मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ) जो जनसत्ता (दिल्ली संस्करण) में 20 अगस्त, 2024 को प्रकाशित हुआ है। यह लेख चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में जो छात्र-छात्राएँ पढ़ाई कर रहे हैं उनके विषय में हैं। जिसे पेज-1 पर दर्शाया गया है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के एक कार्य बल के ऑनलाइन सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि मेडिकल के लगभग 28 फीसद स्नातक (यूजी) और 15.3 फीसद स्नातकोत्तर (पीजी) छात्रों ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने की बात स्वीकार की है।
सर्वेक्षण में 25,590 स्नातक छात्र, 5,337 स्नातकोत्तर छात्र और 7,035 संकाय सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसमें सलाह दी गई है कि रेजिडेंट डॉक्टर प्रति सप्ताह 74 घंटे से अधिक काम न करें, सप्ताह में एक दिन की छुट्टी लें और रोजाना सात से आठ घंटे की नींद लें।
मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई
मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर राष्ट्रीय कार्य बल की रपट के अनुसार,
पिछले 12 महीनों में 16.2 फीसद एमबीबीएस छात्रों ने मन में स्वयं को नुकासन पहुंचाने या आत्महत्या करने के विचार आने की बात कही, जबकि एमडी/एमएस छात्रों के मामले में यह संख्या 31 फीसद दर्ज की गई। कार्यबल ने इस सर्वे रपट को जून में अंतिम रूप दिया।
रपट के मुताबिक, छात्रों में अकेलेपन या सामाजिक अलगाव की भावना आम है। 8,962 (35 फीसद) छात्र हमेशा या अक्सर इसका अनुभव करते हैं और 9,995 (39.1 फीसद) ने कभी-कभी इन भावनाओं से दो-चार होने की बात कही। सामाजिक संपर्क कई लोगों के लिए एक मुद्दा है, क्योंकि 8,265 (32.3 फीसद) को सामाजिक संबंध बनाने या बनाए रखने में मुश्किल होती है और 6,089 (23.8 फीसद) को यह ’कुछ हद तक कठिन’ लगता है।
तनाव भी एक बड़ी समस्या है। सर्वे में शामिल लोगों में से 36.4 फीसद ने बताया है कि उन्हें तनाव से निपटने के लिए ज्ञान और कौशल की कमी महसूस होती है। 18.2 फीसद लोगों ने फैकल्टी या परामर्शदाताओं से बहुत कम सहयोग मिलने की बात कही।
इस सर्वेक्षण के अनुसार, 56.6 फीसद छात्रों ने अपने शैक्षणिक भार को संभालने योग्य, लेकिन अत्यधिक बताया। 20.7 फीसद छात्रों के मुताबिक, उन पर शैक्षणिक भार बहुत ज्यादा है। केवल 1.5 फीसद ने इसे हल्का बताया।
सर्वेक्षण में पाया गया कि ’असफलता का डर’ यूजी छात्रों के बीच एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, जिसमें 51.6 फीसद सहमत हैं य दृढ़ता से सहमत हैं कि यह उनके प्रदर्शन पर नकारात्मक असर डालता है। (https://epaper.jansatta.com/3906999/Jansatta/20-August-2024#page/1/2)
मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो हमेशा ही किसी-न-किसी कारणवश विवादों में रहता है।
मानसिक स्वास्थ्य क्या है?
मानसिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य के अन्तर्गत हमारी भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक भलाई शामिल होती है।
यदि आप मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो सोचने, समझने और महसूस करने की जो क्षमता है वह बढ़ जाती है तथा कार्य करने के तरीके बदल जाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य यह निर्धारित करने में हमारी मदद करता है कि हम तनाव में होने के बावजूद भी खुद को कैसे संभाल सकते हैं, दूसरों से हम किस तरह पेश आ सकते हैं और उनके साथ किस तरह के संबंध स्थापित करते हैं।
इसीलिए यहाँ पर यह कहना गलत नहीं होगा कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन के हर स्तर (बचपन, किशोरावस्था एवं वयस्कत) पर महत्त्वपूर्ण होता है।
मानसिक स्वास्थ्य का मतलब है कि लोग आपके बारे में कैसे सोचते हैं, कैसा महसूस करते हैं और उनका व्यवहार करने का तरीका क्या है?
मानसिक स्वास्थ्य किसी भी व्यक्ति के दैनिक जीवन, और उसके रिश्तों तथा शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है या हम कह सकते हैं कि शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
व्यक्ति के जीवन में रिश्ते और बाहरी कारक उसके मानसिक स्वास्थ्य में योगदान कर सकते हैं।
व्यक्ति यदि अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखता है तो उसके जीवन की आनंद लेने की जो क्षमता है वह उसको बरकरार रख सकता है।
जिसमें व्यक्ति की मुख्य गतिविधियाँ शामिल होती हैं जैसे-जिम्मेदारियाँ निभाने का तरीका और मनोवैज्ञानिक रूप से उनमें लचीलापन बनाये रखने का संतुलन।
देखा जाये तो तनाव एवं अवसाद तथा चिंता मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं और व्यक्ति की साधारण से साधारण दिनचर्या को प्रभावित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले जो पेशेवर लोग हैं वह अक्सर ’’मानसिक स्वास्थ्य’’ शब्द का उपयोग करते हैं वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों का मानना है कि कई मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की जड़े शारीरिक भी होती हैं।
चिकित्सा विज्ञान से आप क्या समझते हैं?
रोगी की व्यापक तरीके से देखभाल करना और साथ ही बीमारी को रोकने के लिए महत्त्वपूर्ण समस्याओं का प्रबंध कर समाधान खोजना।
कहा जा सकता है कि व्यायाम, आहार और मानसिक कारक रोग प्रतिक्रियाओं की रोक-थाम के साथ-साथ प्रबंधन के लिए अभिन्न अंग हैं।
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