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इन्सानी दिमाग और माइक्रोप्लास्टिक के कण

यह लेख दैनिक अमर उजाला में छपा था।

इन्सानी दिमाग और माइक्रोप्लास्टिक के कण लेख ज्ञानवर्धक हो सकता है यदि आप समय रहते समझ जाते हैं कि प्लास्टिक हमारे लिए कितना खतरा बन चुका है।

माइक्रोप्लास्टिक के कण शरीर के मुख्य हिस्से हमारे मस्तिष्क के ऊतकों पर हमला कर रहा है।

जो बहुत ही खतरनाक है। समय रहते हमें माइक्रोप्लास्टिक के प्रति जागरूक होना होगा।

लेख को यहाँ पुनः प्रेषित करने के पीछे मेरा उद्देश्य केवल पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

इन्सानी दिमाग और माइक्रोप्लास्टिक के कण

वैज्ञानिकों को इन्सानी मस्तिष्क में भी माइक्रोप्लास्टिक के सबूत मिले हैं।

इससे पहले वैज्ञानिकों को इन्सानी रक्त, नसों, फेफड़ों, गर्भनाल, लिवर, किडनी, अस्थि मज्जा, प्रजनन अंगों, घुटने और कोहनी के जोड़ों के साथ अन्य अंगों में भी इनकी मौजूदगी के सबूत मिल चुके हैं।

अब दिमाग के साथ इन्सानी दूध, सीमन और यूरिन में भी माइक्रोप्लास्टिक की पुष्टि हुई है।

इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मैक्सिको, ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी, न्यू मैक्सिको ऑफिस ऑफ द मेडिकल इन्वेस्टिगेटर से जुड़े शोधकर्ताओं की ओर से किया अध्ययन अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की ओर से साझा किया गया है

वैज्ञानिकों के अनुसार, अन्य अंगों की तुलना में मस्तिष्क के ऊतकों में 20 गुना अधिक प्लास्टिक पाया गया है।

इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह रही कि डिमेंशिया से जूझते लोगों के दिमाग में स्वस्थ लोगों की तुलना में कहीं अधिक प्लास्टिक पाया गया है।

इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह रही कि डिमोशिया से जूझते लोगों के दिमाग में स्वस्थ लोगों की तुलना में कहीं अधिक प्लास्टिक पाया गया है।

शोधकर्ताओं ने 2016 और 2024 के बीच उपलब्ध नमूनों की जांच की है।

2016 में जो नमूने एकत्र किए गए थे उनमें से 17 पुरुषों के, जबकि 10 महिलाओं के थे। वहीं, 2024 में पुरुषों से 13 और 11 नमूने महिलाओं से जुड़े थे।

2024 में एकत्र किए गए मस्तिष्क के नमूनों में 2016 की तुलना में अधिक प्लास्टिक पाया गया।

2016 में लिए नमूनों की तुलना में 2024 में मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा करीब 50 फीसदी अधिक थी।

यानी समय के साथ मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ रही है।

मस्तिष्क के 91 नमूनों में अन्य अंगों की तुलना में औसतन 10 से 20 गना माइक्रोप्लास्टिक अधिक था।

इसी तरह 2024 की शुरुआत में मस्तिष्क के 24 नमूनों में उनके वजन के हिसाब से औसतन 0.5 फीसदी प्लास्टिक मौजूद था।

Microplastic found in human brains. इंसानी दिमाग तक पहुंचे प्लास्टिक के कण।

माइक्रोप्लास्टिक शरीर में कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रहा है।

प्लास्टिक के यह कण इन्सानी स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा बन चुके हैं।

दुनिया में शायद ही ऐसी कोई जगह बची है जहाँ माइक्रोप्लास्टिक के कण मौजूद न हों। निर्जन अंटार्कटिका भी इनकी मौजूदगी से अछूता नहीं रह गया है।

अंततः मानव मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया, लेकिन यह पूरी तस्वीर नहीं है। Microplastics finally found in human brains, but that’s not the full picture

प्लास्टिक है पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन

अन्य अंगों की तुलना में मस्तिष्क के ऊतकों में 20 गुना अधिक प्लास्टिक मिला ऐसा शोध से उजाग हुआ है।

अन्य तथ्य

समुद्र में जाने वाला प्लास्टिक विघटित हो कर टूट जाता है और उसके बाद वह माइक्रोप्लास्टिक के रूप में बदल जाता है।

माइक्रोप्लास्टिक के कणों का व्यास 5 मिमी से कम होता है।

प्राथमिक तौर पर माइक्रोप्लास्टिक के छोटे कणों को व्यावसायिक उपयोग के लिये डिज़ाइन किया जाता है।

यह माइक्रोफाइबर के रूप में कपड़ों और अन्य वस्त्रों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण के लिए व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों, प्लास्टिक छर्रों और प्लास्टिक फाइबर में पाए जाने वाले माइक्रोबीड्स।

द्वितीयक तौर पर माइक्रोप्लास्टिक पानी की बोतलों आदि के टूटने से बनते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक से खतरा हर साल कम-से-कम 8 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में जाता है।

और यह सतही जल से लेकर गहरे समुद्र में तलछट तक सभी समुद्री मलबे का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा है।

यूएनईपी के अनुसार, पिछले चार दशकों में समुद्र के सतही जल में इन कणों की सांद्रता में काफी वृद्धि हुई है।

समुद्री जीवन पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। देखा जाये तो सैकड़ों समुद्री प्रजातियों का इससे दम घुट रहा है। जिस कारण उनका जीवन संकट में पड़ गया है।

मछली, केकड़े और झींगे जैसे समुद्री जीव इन माइक्रोप्लास्टिक के कणों को भोजन के रूप में निगल लेते हैं।

मनुष्य इन समुद्री जीवों का समुद्री भोजन के रूप में सेवन करते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।

वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर द्वारा किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि एक औसत व्यक्ति 5 ग्राम प्लास्टिक का उपभोग करता है।

अमर उजाला, रविवार, 01.09.2024, वर्ष 28, अंक 188, देहरादून संस्करण, पृष्ठ सं०-15।

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Dr. Dinesh Chaudhary

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